तुलसी, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है, एक एडाप्टोजेन है जो शरीर को तनाव के अनुकूल बनने में मदद करती है। माना जाता है कि माला पहनने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। यह एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर के रूप में कार्य करती है और समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है।
सामान्यतः माना जाता है कि तुलसी माला टूटना एक संकेत है कि उसने नकारात्मक ऊर्जा या कष्ट अपने ऊपर ले लिया। इसे सम्मान से संभालें, बहते पानी या पौधे के नीचे रखकर विसर्जित कर दें और यदि चाहें तो नई माला धारण करें।
बहुत से भक्त बिना औपचारिक दीक्षा के भी श्रद्धा से तुलसी माला पहनते हैं। बस माला को पवित्र मानें, स्वच्छ रहें और अपवित्र स्थानों में उतारकर रखें। अपनी परंपरा के आचार्य या गुरुदेव से मार्गदर्शन लेना सबसे अच्छा होता है।
कई परंपराओं में रुद्राक्ष और तुलसी दोनों को साथ में पहनना शुभ माना जाता है — एक शिव का प्रतीक है और दूसरी भगवती तुलसी की। बस ध्यान रखें कि दोनों malas को सम्मान से और शुद्धता के साथ धारण करें।
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